हरियाली अमावस्या पर हरितिमा से आच्छादित हिण्डोले में झुले भगवान गोवर्धननाथ

जल में वरुण देवता की परिकल्पना कर नदियों व सरोवरों को स्वच्छ व पवित्र रखने की बात कही गई है।

पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देता है हरियाली अमावस्या पर्व- श्री त्रिवेदी

झाबुआ।  श्रावण के पावन माह में हरियाली अमावस्या के पावन अवसर पर श्री गोवर्धननाथ जी की हवेली में बिराजित भगवान गोवर्धननाथ का  हरितिमा से आच्छादित विशेष श्रृंगार करके उन्हे हरितिमा से सज्जित हिण्डोलें पर झुलाया गया । इस अवसर पर  मंदिर मे उपस्थित महिला श्रद्धालुओं द्वारा  पुष्टिमार्गीय कीर्तन किये गये । जैसे ही भगवान के पट खुले हरितिमा सें सजाये गये हिण्डोलें में भगवान गोवर्धननाथ को होले होले झुला झुलाया गया । मंदिर के पण्डित दिलीप आचार्य जहां भगवान का झुला दे रहे थे वही दुर्गेश पालीवाल भगवान को पंखा झल रहे थे ।  कीर्तनकार रमेश त्रिवेदी द्वारा हरियाली अमावस्या पर संगीत मय ’’ झुला तो डाल्या श्री वृंदावन बाग में जी, राधा ने झुला डारों, रेशम की डोर को जी, एजी कोई डारों है जमुना बाग’ जैसे कीर्तनों के माध्यम से पूरे वातावरण को वृंदावनमय कर दिया । करीब एक घंटे तक  भगवान के हिंडोलें के दर्शनों का क्रम चलता रहा तथा बडी संख्या में दर्शनार्थियों ने भगवान के हरियाली अमावस्या के विशेष श्रृंगार के दर्शनों का लाभ उठाया ।   
             इस अवसर पर यमुना मंडल की महिला सदस्याओं द्वारा अपनी सराहनीय भूमिका का निर्वाह किया गया । हरियाली अमावस्या के महत्व को प्रतिपादित करते हुए गोवर्धननाथ मंदिर के अधिकारी बृजबिहारी त्रिवेदी ने बताया कि  भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। पर्यावरण को संरक्षित करने की दृष्टि से ही पेड़-पौधों में ईश्वरीय रूप को स्थान देकर उनकी पूजा का विधान बताया गया है। जल में वरुण देवता की परिकल्पना कर नदियों व सरोवरों को स्वच्छ व पवित्र रखने की बात कही गई है। वायुमंडल की शुचिता के लिए वायु को देवता माना गया है। 
      वेदों व ऋचाओं में इनके महत्व को बताया गया है। शास्त्रों में पृथ्वी, आकाश, जल, वनस्पति एवं औषधि को शांत रखने को कहा गया है। इसका आशय यह है कि इन्हें प्रदूषण से बचाया जाए। यदि ये सब संरक्षित व सुरक्षित होंगे तभी हमारा जीवन भी सुरक्षित व सुखी रह सकेगा। इसी सन्देश को आत्मसात करते हुए पुरातन काल से हरियाली अमावस्या पर्व को मनाया जारहा है । आरती एवं प्रसादी वितरण के साथ हरियाली महोत्सव का कार्यक्रम समाप्त हुआ । ज्ञातव्य है कि पूरे श्रावण माह में भगवान के विभिन्न मनोरथों के तहत हिण्डोला दर्शन का हवेली में  सायंकाल 6-30 बजे से आयोजन हो रहा है।

Jhabua News- हरियाली अमावस्या पर हरितिमा से आच्छादित हिण्डोले में झुले भगवान गोवर्धननाथ

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