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दो देशों के राष्ट्रीय वृक्ष लगे हैं झाबुआ की नक्षत्र वाटिका में, औषधीय पेड़ भी

National trees of two Countries are Planted in the Jhabua Divya Nakshatra Vatika.
झाबुआ के बालाजी धाम पर 22 हजार वर्ग फीट क्षेत्र में 4 मई 2017 को दिव्य नक्षत्र वाटिका स्थापित की गई।आध्यात्मिक ढंग से देश की दूसरी वाटिका इसे माना जाता है, क्योंकि यहां ऐसे 25 विशिष्ट पौधे लगाए गए थे, जो ग्रह व नक्षत्र के पूजन में काम आते हैं। वाटिका के सौदर्य के लिए अब आंध्रप्रदेश की नर्सरी से फूल मंगवाए जा रहे हैं।  यहां 27 नक्षत्र, 9 ग्रह सहित अलग-अलग तरह के करीब 25 विशिष्ट पौधे लगाए गए। इसके अलावा अन्य पौध रोपण भी हुआ। वाटिका से जुडे करीब 50 सदस्य लगातार लगे रहे। पौधों को पानी देने के लिए माकुल व्यवस्था की गई। उसका परिणाम यह है कि सफेद खैर अब यहां परिपक्व स्थिति में आ चुका है। देशी कपूर, सफेद शमी, रजनीगंधा व सिंदूर से वाटिका महक रही है। 
         इसमें दो देशों के राष्ट्रीय वृक्ष है। भारत का वट वृक्ष और श्रीलंका का नाग केसर। 27 नक्षत्र व औषधीय पेड़-पौधे यहां पर हैं। शिलांग, जम्मू-कश्मीर, झालावाड़ आदि स्थानों से लाए गए फूल की प्रजातियां भी हैं। इसे संजोने वाले समिति के विशाल त्रिवेदी व पं. हिमांशु शुक्ल बताते हैं बेत नामक औषधि का पौधा शिलांग से लाया गया है। पौधों के लिए झालाबाड़, आगर, इंदौर, लीमखेड़ा नर्सरी के अलावा दिल्‍ली व खरगोन से भी संपक॑ किया गया है। देख रेख 50 लोगों का समृह करता है। वाटिका 22 हजार स्कवेयर फीट में फैली है। गुलाब सहित चमेली के पेड़ भी हैं।
Jhabua Nakshtra Vatika- दो देशों के राष्ट्रीय वृक्ष लगे हैं झाबुआ की नक्षत्र वाटिका में, औषधीय पेड़ भी
200 फीट की ऊंचाई से नक्षत्र वाटिका का नज़ारा 
आंध्रप्रदेश के फूलों से महकेगी झाबुआ की दिव्य नक्षत्र वाटिका
     वाटिका से जुड़े हिमांशु शुक्ला ने बताया की श्रीलंका के राष्ट्रीय पौधे नागकेसरी, जम्मू कश्मीर के चीड़, झालावाड़ के कुशाल, अरिण व शिलांग से जलवेध का पौधा विशेष तौर पर वाटिका के लिए लाया गया था। तिरूपति बालाजी में सोन-चम्पा की माला बालाजी को पहनाई जाती है, वहीं सोन-चम्पा यहां भी रोपा गया है। इसके अलावा सरस्वतीजी की वंदना के लिए लेवेंडर व गूगल, कपूर सहित अन्य पौधे लगाए गए हैं। अब सौंदर्यीकरण के लिए  अलग-अलग रंग के गुलाब लगाने के अलावा आंध्रप्रदेश की नर्सरी से झाबुआ वाटिका के लिए फूल मंगवाए जा रहे हैं।

भगवान तिरुपति को जिस फूल की माला चढ़ाई जाती है वह भी है वाटिका में

पं. शुक्ल बताते हैं नक्षत्र वाटिका में साउथ में होने बाला सोन चम्पा का वृक्ष भी है।  इस वृक्ष में लगने वाले फूलों से बनने वाली माला तिरुपति बालाजी को पहनाई जाती हैं। 

ये औषधि वृक्ष भी वाटिका में हैं  
  • गूगल 
  • सिंदूर
  • कपूर
  • सुपारी
  • कदम्ब
  • अरीठा
  • चीड़. (जम्मु-कश्मीर)
  • कुचला
  • शमी
  • सफेद खेर
  • पीपल
  • साल
  • बकुल
  • औदुम्बर
  • रूद्राक्ष
  •  रक्त चंदन 
ये फूल भी खिले हैं 
  • सोनचम्पा
  • रातरानी
  • कुंद
  • वसंत मालती
  • एगजोरा
  • जूही
  • नट
  • मोगरा भोपाल या गज मोगरा
गज मोगरा. पूरे साल खिला रहता है। 5 तरह के गुलाब है। इसमें झालावाड़ से लाया गुलाब , हैदराबादी गुलाब, देशी गुलाब व सफेद गुलाब सहित चमेली के पेड़ भी है।  
वाटिका का उद्देश्य 
बाटिका बनाने का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत को बचाना एवं एक ऐसा आध्यात्मिक क्षेत्र विकसित करना जो संस्कृति और पर्यटन दोनों को जोड़ सके।

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