भजनों की धुन - मंजीरों की थाप पर झूम उठे भक्त

गोपाल मंदिर में आयोजित हुआ त्रिदिवसीय वार्षिकोंत्सव समारोह

महाआरती के साथ हुआ त्रिदिवसीय समारोह का समापन 
झाबुआ: गोपाल कालोनी स्थित श्री गोपाल मंदिर का 46 वां वार्षिकोंत्सव समारोह भव्याति भव्य पैमाने पर मनाया गया । रविवार से शुरू हुए त्रिदिवसीय आयोजन में अखण्ड जाप,भजन संध्या, एवं सत्संग का आयोजन किया गया जिसमे बडी संख्या में गोपाल भक्तों ने भागीदारी की । मंगलवार को मोहिनी एकादशी के अवसर पर हर वर्ष मनाया जाने वाला यह वार्षिकोत्सव की व्यापक तैयारियां गुरू भक्तों द्वारा की गई । रौशनी की चकाचौंध, पुष्पसाज  ओर आशा पालव की तोरण से आछदित पूरा मंदिर प्रांगण..... । 
              जानकारी देते हुए भक्त मंडल के विशाल भट्ट ने बताया की त्रिदिवसीय आयोजन के तहत रविवार को गुरु भक्तो द्वारा प्रातः 10 बजे से 24 घंटे का गुरु ओम मंत्र का जाप शुरू किया गया जो की सोमवार प्रातः 10 बजे तक चला। सोमवार की दोपहर 2 बजे भजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, रात्री को गुरूभक्तों द्वारा जागरण कर भजन कीर्तन किये गये । मंगलवार को प्रातः 8-30 बजे से श्रीगुरू पाद पूजन तथा भजनांजलि का आयोजन किया गया। आयोजन में देश भर के विभिन्न प्रांतो शहरो से आये हज़ारो भक्तो ने भक्ति ओर भजनों का ऐसा राग छेड़ा मानो सदियों तक ये राग युही चलता रहे......  गुरूभक्तों द्वारा बडे भाव विभोर होकर लाखे बेसीये रे करोडो उभिये रे, तमे तो भजन करावे नी .... दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अंखिया प्यासी रे, मन मंदिर की जोत जगाओं घट घट वासी रे.... गोपाल कालोनी म्हारा गुरूजी बिराजे, दुनिया मां डंकों बाजे जी ओ ओ... मोहन प्यारा लागी छे तारी माया... रंगाया तारा रंग मां हूं तो बन्यों छू दीवाना थारा संग मां ...... हरी नु भजन,सदा हरी नु भजन, प्रेमियों ना लक्ष्य सदा हरी नूं भजन आदि भजनों के द्वारा पूरा वातावरण भक्ति मय हो गया । 
       मंगलवार को दोपहर 12 बजे हजारों भक्तों की उपस्थिति में श्री गोपाल प्रभू, घनश्याम प्रभू बाबजी और रामशंकर जी जानी मोटा बाबजी की महाआरती की गई । तत्पश्चात प्रसादी का वितरण कर भंडारे का आयोजन किया गया ।  इस अवसर पर वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिये देश भर के विभिन्न राज्यों से आये भक्तो के साथ ही इन्दौर, महू, रतलाम, उज्जैन, आदि शहरो सहित हज़ारो की संख्या में भक्त जनों ने आकर गुरूभक्ति का लाभ लिया। गोपाल मंदिर झाबुआ द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित यह वार्षिकोत्सव समारोह आज न सिर्फ झाबुआ शहर अपितु प्रदेश ओर साथ ही देश में एक अति प्राचीन , धार्मिक ओर सांस्कृतिक आयोजन का प्रतिक है निश्चित रूप से आगामी वर्षो में यह आयोजन न केवल प्रादेशिक अपितु देश भर में अपना एक अलग वर्चस्व स्थापित करेगा ।

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