महाआरती एवं प्रसादी के साथ सत्यसाई सप्ताह का हुआ समापन

गुरू हमारे जीपीएस सिस्टम है जो हमे मार्ग से भटकने नही देते और गंतव्य एवं लक्ष्य तक पहूंचाते है - घनश्याम  बैरागी

झाबुआ ।  जीवन के जन्म जन्मान्तरों के संस्कारों ,के कारण ही दुश्चिंतन एवं मानसिक विकृतियों का शमन प्रभूकृपा एवं आराधना से प्राप्त होता है । अवतारों का इस पावन धरा पर अवतरण विशेष प्रयोजन से होता है।ऐसे ही अवतारी स्वरूप  के रूप में श्री सत्यसाई बाबा के अवतार को भी लेवे  तो अतिशयोक्ति नही मानना चाहिये ।  एक गरीब परिवार मे जन्मे सत्यसाई बाबा में बाल्यकाल से ही आध्यात्मिकता के दर्शन होते रहे है  । मात्र 14 साल की आयु में ही उन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ और मानव सेवा-माधव सेवा के महामंत्र को लेकर विश्वकल्याण एवं जन जन के आध्यात्मिक विकास में उन्होने अवतार होने की घोषणा कर अपने विचारों एवं सन्देशों के माध्यम से जन जन को अपने आराध्य के प्रति पूर्ण विश्वास कर जनसेवा को जनार्दन सेवा के रूप  में बताया।  
       1926 में 23 नवम्बर को श्री सत्यसाई का जन्म हुआ, 1926 में ही गायत्री शक्तिपीठ की मां भगवती देवी अवतरित हुई थी , 1926 में ही महर्षि अरविदों ने आध्यात्मिक अवतरण की घोषणा की ,1926 में ही पूज्य गुरू श्रीराम शर्मा का आध्यात्मिक जन्म हुआ था । हमारे गुरूओ ने  जो  सन्देश दिया उसका हम कितना पालन कर रहे है , यह हमारे लिये ही मनन का विषय हे । गुरू का जीवन में प्रवेश ज्ञान के लिये होता है । जिस तरह वाहनों में जीपीएस सिस्टम होता है, उसी तरह गुरू भी हमारे जीपीएस सिस्टम है  जो हमे मार्ग से भटकने नही देते  और गंतव्य एवं लक्ष्य तक पहूंचाते है । यह गुरू कृपा ही है  । परमात्मा को अन्तरआत्मा से पुकारा जाना चाहिये वह हमतारी मदद के लिये जरूर आता है। मीरा, रामकृष्ण परमहंस इसके साक्षात उदाहरण है जिन्हे कृष्ण और काली की प्रतिमा से आराध्य का साक्षात्कार हुआ था । आज हमारी स्थिति यह है कि सही दिशा के लिये हमे मार्ग मालुम होने के बाद भी हम उसेके लिये प्रयास नही करते है । 
      ओम तीन अक्षरों अ, उ और म से बना प्रणव शब्द है। अ का अर्थ अपने मन के विकारो  को हटाना, उ का अर्थ उन्नति प्रदान करने वाला तथा म से महानता प्रदान कर अपनी भावनाओं को शद्ध करना होता है। जीवन में चार शत्रु सदैव विद्यमान रहते  है आलस्यता, स्वार्थ परता, भौतिकता, कामुकता इनको अपने  जीवन से हटा दिया जावे तो हम भीआध्यात्म के पथ पर चल करि प्रभू कृपा प्राप्त कर सकते है । भगवान पर विश्वास रखने वाला कभी निराशा को प्राप्त नही कर सकता है यह धु्रव सत्य है । इसलिये  महापुरूषो के वचनों को अपने जीवन में आत्मसात किया जावे । उक्त सारगर्भित विचार श्री सत्यसाई सेवा समिति झाबुआ द्वारा सत्यसाई के 92 वें जन्मोत्सव के अवसर पर विवेकानंद कालोनी में सत्यधाम पर आयोजित श्री  सत्यसाई बाबा के जन्मोत्सव के अवसर पर आध्यात्मिक उदगार व्यक्त करते हुए गायत्री शक्तिपीठ के पण्डित घनश्याम बैरागी ने व्यक्त किये 
नाम संर्कीतन एवं भजनों से हुआ वातावरण भक्तिमय
श्री सत्यसाई सेवा समिति द्वारा गुरूवार 23 नवम्बर को उमंग एवं उल्लास के  साथ श्री सत्यसाई बाबा का जन्मोत्सव मनाया गया । प्रातःकाल ओंकारम सुप्रभातम, लक्ष्यार्चना, नारायण सेवा का आयोजन किया गया । पूरे सत्यधाम पर हिमांशु पंवार द्वारा आकर्षक झांकी लगाई गई । सायंकाल 7-30 बजे से  नाम संकीर्तन की संगीतमय प्रस्तुति दी गई तत्पश्चात मुख्यवक्ता घनश्याम बैरागी ने सारगर्भित प्रवचन दिया । शांति प्रार्थना के साथ महामंगल आरती समिति कन्वीनर राजेन्द्रकुमार सोनी ने उतारी । कार्यक्रम का संचालन सौभाग्यसिंह चैहान ने किया । महाआरती के बाद बडी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को  लड्डू प्रसादी का वितरण किया गया । इसी के साथ साई सप्ताह का समापन हुआ ।
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