नवाचारी पद्धति से विज्ञान पढ़ाने के लिए तैयार जिले के विज्ञान शिक्षक

झाबुआ जिलाधीश आशीष सक्सेना के निर्देश पर कार्यशाला का संचालन एक्सीलेंस स्कूल प्राचार्य एवं प्रभारी बीईओ आयशा कुरैशी के मार्गदर्शन पर .
झाबुआ।  जिले के विद्यार्थियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए जिले के विज्ञानं शिक्षकों की नवाचारी पद्धति से विज्ञानं शिक्षण की कार्यशाला शुक्रवार को बुनियादी प्रशिक्षण भवन के सभागृह में संपन्न हुई। समापन दिवस पर स्त्रोत विद्वान इंजीनियर भारत भूषण आर गाँधी ने उपास्थित विज्ञान शिक्षकों को नवाचारी पद्धति से विज्ञानं को पढ़ाने के कई टिप्स दिए। गाँधी ने शिक्षकों को ब्लैक बोर्ड पर 3 व्हील ड्रा करके उन्हें सर्कुलेशन मोशन और ट्रांसमिशन को पढ़ाने का आसान तरीका बताया साथ ही विज्ञान शब्दावली को सुदृढ़ करने के तरीके भी समझाए। शुक्रवार को पांच दिवसीय कार्यशाला का अंतिम दिवस था। इस कार्यशाला में पांचों दिन झाबुआ जिले के अलग अलग ब्लॉक के विज्ञानं शिक्षकों ने आकर प्रतिभागिता की।  
         झाबुआ जिले के विज्ञान शिक्षकों को नवाचारी पद्धति से विज्ञान शिक्षण देने ए प्रमुख विद्वानों में चंडीगढ़ के वैज्ञानिक डॉ एम एस मारवाह और भोपाल के डॉ कपूरमल जैन थे। इन दोनों विद्वानों ने शिक्षकों को विज्ञान पढ़ाने के नए नए तरीके कई प्रयोगों को साक्षात करके समझाए। इनके अलावा स्त्रोत विद्वानों में उदयसिंघ तोमर, अजय कुमार नारमदेव, राजेश पराशर, सारिका घारू, अनिल सिंह, एम एस नरवरिया एवं कमलसिंह तोमर ने भी कार्यशाला दिवसों के दौरान अपनी आमद की और नवाचार पद्धति से विज्ञान पढ़ने के टिप्स दिए और संवाद किये। झाबुआ जिलाधीश आशीष सक्सेना के निर्देश पर कार्यशाला का संचालन एक्सीलेंस स्कूल प्राचार्य एवं प्रभारी बीईओ आयशा कुरैशी के मार्गदर्शन पर महेंद्र खुराना एवं योगेश गुप्ता ने किया।
           राष्ट्रिय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् के सहयोग से एस्ट्रोनॉमिका साइंस एक्टिविटी एंड एजुकेशन सोसाइटी द्वारा संचालित कार्यशाला के दौरान विज्ञान शिक्षकों ने स्त्रोत विद्वानों द्वारा विज्ञानं शिक्षण को उपयोगी निरूपित करते हुए कहा कि उनका विज्ञान पढ़ाने का स्पेक्ट्रम विस्तृत हुआ है और वे संकल्पित हैं कि अब उनकी विज्ञानं कक्षाओं में नवाचार का ज्यादा से ज्यादा उपयोग होगा। कार्यशाला के समापन अवसर पर नोडल अधिकारी एक्सीलेंट स्कूल प्राचार्य आयशा कुरैशी ने प्रतिभागी शिक्षकों के फीडबैक लेने के बाद कहा कि इस प्रकार की करशालाएँ अत्यंत उपयोगी होती हैं, उन्होंने आशा व्यक्त की कि डीएसटी नई दिल्ली द्वारा भविष्य में भी आयोजित हों तथा जुलाई या सितम्बर माह में हों तो ज्यादा बेहतर रहेगा। 
        उन्होंने आगे कहा कि कार्यशाला के प्रत्येक विद्वान की बात आत्मसार करके उसे व्यवहार में लेन की जरुरत है विद्यार्थियों में यदि नवाचार की ललक पैदा होती है तो इस क्षेत्र के विद्यार्थी बेहतर होंगे। समापन अवसर पर जिले के श्रेष्ठ प्रतिभागी शिक्षकों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र प्रदान किये गए, अंत में वरिष्ठ विज्ञानं शिक्षक रवींद्रसिंह सिसोदिया ने प्रकट किया।

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