श्री गोवर्धन मंदिर के 151 पाटोत्सव की आमंत्रण पत्रिका का हुआ विमोचन

भागवत कथा 6 जून से 12 जून तक शास्त्री श्री सतीशजी शर्मा ग्वालियर के श्रीमुख से होगी ।

भगवान के अनुग्रह से स्वतः उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वतः जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है- पूज्य दिव्येश कुमार जी

झाबुआ। श्री वल्लभ सम्प्रदाय भक्ति का एक संप्रदाय, जिसकी स्थापना महाप्रभु वल्लभाचार्य ने की थी। इसे वल्लभ संप्रदाय या वल्लभ भी कहते हैं। चैतन्य महाप्रभु से भी पहले पुष्टिमार्ग के संस्थापक वल्लभाचार्य राधा की पूजा करते थे, जहां कुछ संप्रदायों के अनुसार, भक्तों की पहचान राधा की सहेलियों (सखी) के रूप में होती है, जिन्हें राधाकृष्ण के लिए अंतरंग व्यवस्था करने के लिए विशेषाधिकार प्राप्त होता है। अपने वैष्णव सहधर्मियों के साथ राधावल्लभी, भागवतपुराण के प्रति अपार श्रद्धा रखते हैं, लेकिन कुछ अंतरंगता जो राधा और गोपियों के साथ रिश्तों की परिधि के बाहर है, वह इस सम्प्रदाय के दर्शन में शामिल नहीं है। वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया, जो भक्त साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वतरू उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वतः जीव पर दया करें, वह पुष्टिभक्ति कहलाती है। ऐसा भक्त भगवान के स्वरूप दर्शन के अतिरिक्त अन्य किसी वस्तु के लिए प्रार्थना नहीं करता। वह आराध्य के प्रति आत्मसमर्पण करता है। इसको प्रेमलक्षणा भक्ति भी कहते हैं। ऐसी भक्ति कर्म, ज्ञान और योग से भी श्रेष्ठ बताई गई है। उक्त उदबोधन नगर के पूरातन दिव्य अलौलिक श्री गोवर्धननाथजी की हवेली  के 151 वे पाटोत्सव महोत्सव एवं श्रीमद भागवत रसपान महोत्सव 6 जून ये 16 जून तक आयोजित होने वाले भव्य कार्यक्रम के आयोजन को लेकर सर्वाध्यक्ष एवं मार्गदर्शक पूज्य श्री दिव्येशकुमारजी बावाश्री महाराज के मुख्य आतिथ्य में 19 मई  रविवार को सायंकाल आमंत्रण पत्रिका का विमोचन के अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं एवं गणमान्य जनों को संबोधित करते हुए कहीं । 

श्री गोवर्धन मंदिर के 151 पाटोत्सव की आमंत्रण पत्रिका का हुआ विमोचन

पूज्य श्री दिव्येशकुमारजी महाराज के द्वारा उपस्थित भक्तों को  आमंत्रण पत्रिका का वितरण भी किया जाकर सभी भक्तो एवं श्रद्धालुओं  से आव्हान किया कि इस ऐतिहासिक पाटोत्सव एवं  श्रीमद भागवत रसपान के इस भव्य आयोजन का अधिक से अधिक लोग सहभागी होकर धर्मलाभ लेवें इसके लिये व्यापक प्रचार‘प्रसार किया जावे । इस अवसर पर  पूज्य दिव्येशकुमारजी  महाराज के अलावा बहिन भामीनी राजा, हरिश शाह, गोपाल हरसौला, महेश हरसौला, प्रदीप शाह, जितेन्द्रकुमार शाह, माहन माहेश्वरी, शेष नारायण मालवीय, संजय शाह, शरद पारीक, श्रीमती संगीता शाह, चंचला सोनी, प्रेमा भाटी, मंजु मिस्त्री, संगीता पारिक, शीला त्रिवेदी, अलका हरसौला, ममता हरसौला सहित बडी संख्या में वैष्णवजन उपस्थित थे ।
         श्री गोवर्धननाथ मंदिर के 151 पाटोत्सव के दौरान 11 दिवसीय इस आयोजन में 6 जून  से 16 जनू जून तक विभिन्न मनोरथ  चंदन चोली मनोरथ, मोती का बंगला मनोरथ, नौका विहार मनोरथ, पनघट मनोरथ, नन्द महोत्सव, कमल तलाई मनोरथ, अष्टखंभ मनोरथ, आम्र कुंज मनोरथ, ब्रज कमल मनोरथ, कुण्डवारा मनोरथ, गौचारण मनारेथ, बडी फुंल मंडली मनोरथ, व्यवला-विवाह खेल मनोरथ  के अलावा 16 जून को दोपहर 3-30 बजे से हवेली से बाडी तक भव्य शोभायात्रा एवं सायंकाल छप्पन भोग बडा मनोरथ का आयोजन गिरधर विलास वाडी झाबुआ में होगा । 17 जून को समापन एवं सम्मान समारोह का आयोजन मंदिर पर सायंकाल 6 बजे होगा । भागवत कथा 6 जून से 12 जून तक शास्त्री श्री सतीशजी शर्मा ग्वालियर के श्रीमुख से होगी । श्री गोवर्धन प्रभू के नित्य नूतन मनोरथ के अलावा स्वास्थ्य परिक्षण शिविर, गौ सेवा एवं निराश्रितों को भोजन के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम रास गरबा लोक नृत्य आदि का भी आयोजन किया जावेगा ।

श्री गोवर्धन मंदिर के 151 पाटोत्सव की आमंत्रण पत्रिका का हुआ विमोचन

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