गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा पर सवा लाख से अधिक गायत्री महामंत्र के जाप किए गए

53 महिलाओं का पुंसवन संस्कार कर उन्हें गुरूदेव पं. श्री राम शर्मा आचार्यजी का साहित्य भेट किया गया।

53 महिलाओं का गर्भोत्सव (पुंसवन) संस्कार कर उन्हें गुरूदेवजी का साहित्य भेंट किया गया

गायत्री शक्तिपीठ कॉलेज मार्ग पर हुए विभिन्न धार्मिक आयोजन

झाबुआ। अखिल विष्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री जयंती एवं गंगा दषहरा पर स्थानीय कॉलेज मार्ग स्थित गायत्री शक्तिपीठ पर 12 जून, बुधवार को विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुए। जिसमें मुख्य रूप से सुबह 9 से लेकर दोपहर 12 बजे तक महिलाओं का गभोत्सव (पुंसवन) संस्कार संपन्न हुआ। इस दौरान करीब 53 महिलाओं का यह संस्कार कर उन्हें गुरूदेव पं. श्री राम शर्मा आचार्यजी का साहित्य प्रदान किया गया। 
यह जानकारी देते हुए गायत्री शक्तिपीठ कॉलेज मार्ग से जुड़ी नारी जागरण अभियान की जिला संयोजिका श्रीमती नलिनी बैरागी ने बताया कि निर्धारित कार्यक्रम के तहत अलसुबह 5 बजे मंदिर में विराजित वेद माता गायत्रीजी का महाभिषेक पं. घनष्याम बैरागी एवं श्रीमती नलिनी बैरागी ने किया। बाद 5.30 बजे मंगला आरती हुई। 6 बजे 8 बजे गायत्री परिवार से जुड़े महिला-पुरूषों के साथ साधकगणों द्वारा मंदिर परिसर में गायत्री महामंत्र के जाप किए गए। इस दौरान 30 से अधिक भक्तों ने 1 लाख 25 हजार से अधिक गायत्री महांमत्र का जाप किया।
गुरूदेवजी का साहित्य भेंट किया गया
सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक मंदिर परिसर में महिलाओं के गभोत्सव (पुंसवन) संस्कार हुए। यह संस्कार विधि-विधानपूर्वक गायत्री परिवार के जिला समन्वयक पं. घनष्याम बैरागी ने संपन्न करवाएं। उक्त कार्यक्रम मं शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं ने भी सहभागिता की। 53 महिलाओं का पुंसवन संस्कार कर उन्हें गुरूदेव पं. श्री राम शर्मा आचार्यजी का साहित्य भेट किया गया। महिलाओं का पंजीयन का कार्य गायत्री परिवार की हरिप्रिया निगम ने किया। बाद मंदिर परिसर में सभी के लिए भोजन प्रसादी का भी आयोजन रखा गया।
जन्म लेने वाला बच्चा तेजस्वी और ओजस्वी बनता है
इस अवसर पर गर्भोत्सव संस्कार करवाने वाली महिलाओं को जानकारी देते हुए गायत्री परिवार के जिला समन्वयक पं. घनष्याम बैरागी ने बताया कि गभोत्सव (पुंसवन) सरकार सभी संस्कारों में से सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। यह संस्कार करवाने पर महिला के गर्भ से जन्म वाली संतान श्रेष्ठ बनती है। साथ ही जन्म लेने वाला बच्चा काफी ओजस्वी, तेजस्वी एवं वर्चस्वी पैदा होता है। बच्चा निरोगी होकर धर्ममयी होता है। प्रत्येक महिला चाहे वह किसी जाति, धर्म विशेष की हो, यह संस्कार करवाना चाहिए। 
इनका रहा सराहनीय सहयोग
उक्त आयोजन को सफल बनाने में सराहनीय सहयोग गायत्री परिवार से पुरूषजनों में प्रकाश डावर, शांतिलाल लष्करी, केके वर्मा, भोजन व्यवस्था में विशेष सहयोग सुरेश निगम के साथ महिलाओं में सुलोचना चौहान, नम्रता शेखावत, किरण निगम, मनोरमा डावर, रीना शर्मा, गायत्री सावलानी, मीना पटेल, पार्वती लष्करी, दिव्या सावलानी आदि का रहा।

पुसंवन संस्कार करवाने वाली समस्त महिलाओं का अंत में पुष्पमाला पहनाकर गायत्री परिवार की ओर से भावभरा स्वागत किया गया
शहरी के साथ ग्रामीण महिलाओं ने भी गर्भोत्सव संस्कार करवाया


गर्भात्सव संस्कार विधि-विधानपूर्वक हुआ

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