कमलनाथ सरकार द्वारा विधानसभा मे पत्रकारो के कवरेज पर प्रतिबंध का विरोध

कमलनाथ सरकार के यह अप्रिय निर्णय के बारे मे बोलते हुए कहा कि ये निर्णय 1975 की याद दिलाता हुआ नजर आता है जब पत्रकारिता की आजादी पर ताले डाल दिये गये।
झाबुआ। झाबुआ जिला मुख्यालय पर प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मिडिया से जुडे पत्रकारो द्वारा दो घंटे का धरना विरोध प्रदर्शन कर कमलनाथ सरकार के तानाशाही रवैये एवं विधानसभा परिसर मे विधानसभा कार्यवाही की कवरेज को रोकने के खिलाफ धरना दिया गया इस अवसर पर धरने के दौरान उपस्थित पत्रकारो ने लोकतंत्र के चौथें सजग प्रहरी की भुमिका पर प्रकाश डालते हुए आजादी से लगाकर आज तक पत्रकारो की भुमिका पर विचार व्यक्त करते हुए झाबुआ जिले की पत्रकारिता पर भी प्रकाश डाला।
धरना आंदोलन का नेतृत्व पत्रकार कुंवर नरेश प्रतापसिंह पारा ने किया ओर धरने को संबोधित करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार पत्रकारो की आजादी कुचलने का प्रयास कर रही है जो किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नही की जायेगी। आगे बोलते हुए कहा कि झाबुआ जिले की पत्रकारिता का एक लंबा इतिहास रहा है जिन्होने अंग्रेजो से टक्कर लेते हुए अपनी कलम की धार को पैनी रखते हुए आजादी का बिगुल बजाया। कमलनाथ दिल्ली की तर्ज पर ये निर्णय तुरंत ले अन्यथा ये पत्रकार आंदोलन को और आगे बढायेगे।
 पत्रकार चंद्रभानसिंह भदौरिया ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि विधानसभा मे कमलनाथ सरकार का तुगलकी निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि विधानसभा सदन मे विधायक पोर्न विडियो , विडियो गेम, सोते हुए, प्रिंट ओर इलेक्ट्रानिक मिडिया द्वारा दिखाये जाने पर कमलनाथ ने ये अप्रिय निर्णय लिया है जो घोर निदंनीय है।
राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार दौलत भावसार ने भी धरने पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि झाबुआ जिले के पत्रकार कन्हैयालाल वैद्य जो आजादी के समय वरिष्ठ पत्रकार रहे जिन्होने अपनी कलम की टक्कर अंग्रेजो से ली थी उस परंपरा का निर्वाह आज भी यहा का पत्रकार कर रहा है शासन ओर प्रशासन की गलत नीतियो का विरोध कलम के माध्यम से  निडर होकर यहा का पत्रकार करता आया है ओर करता रहेगा  आपने कमलनाथ सरकार के यह अप्रिय निर्णय के बारे मे बोलते हुए कहा कि ये निर्णय 1975 की याद दिलाता हुआ नजर आता है जब पत्रकारिता की आजादी पर ताले डाल दिये गये।
पत्रकार आलोक द्विवेदी ने भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भोपाल मे विधानसभा मे कमलनाथ सरकार पत्रकार को दबाने का प्रयास कर रही है ओर झाबुआ जिले मे कलेक्टर ओर एस पी दबाने का प्रयास कर रहे है ये कतई बर्दाश्त नही किया जायेगा द्विवेदी का कहना है कि बंद कमरो मे प्रभारी मंत्री ओर कांग्रेस नेताओ के साथ प्रशासन पुलिस छावनी के बीच मे तबादला उद्योग की चर्चा करते है ओर वहा पत्रकारो को जाने नही दिया जाता है इस प्रकार की कार्यवाही कई सवालो को खडा करती है। पत्रकार यंशवत पंवार ने भी धरने का समर्थन करते हुए कहा स्वराज काल की भुमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उस समय भी पत्रकार नही दबे थे ओर आज भी नही दबेगे। प्रदेश सरकार की ये कार्यवाही अनुचित है पत्रकारो की आजादी पर हमला नही करना चाहिए।
इस अवसर पर सचिन बैरागी, विरेन्द्र राठौर, सचिन जोशी, राजेन्द्र सोनगरा, मनोज अरोडा, विपुल पांचाल, दिनेश वर्मा, मनीष गिरधानी, राधेश्याम पटेल, पीयूष गादिया, मुकेश परमार, राकेश पोद्वार आदि बडी संख्या मे पत्रकार  उपस्थित थे। इस अवसर पर पत्रकारो ने धरने के पश्चात भोपाल की घटना को लेकर एडीएम श्री चौहान को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा ज्ञापन का वाचन नरेश प्रतापसिंह पारा वाले ने किया।

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