नगर के कर्मयोद्धा, जनसेवा महामंत्र के प्रणेता एसएस यादव का निधन

दोपहर 2 बजे लाॅकडान के चलते चुनिंदा लोगों की उपस्थिति में माधोपुरा स्थित मुक्तिधाम पर उनका दाह संस्कार किया गया ।

पूरे नगर में शोक की लहर व्याप्त

झाबुआ । नगर में पिछले 40 बरसों से अधिक समय से निस्वार्थ सेवा भावना के साथ सक्रियता के साथ स्वास्थ्य सेवायें देने वाले, बच्चें बच्चे की जुबान पर यादव साहब के नाम पहिचाने जाने वाले जिला चिकित्सालय से 15 साल पूर्व बायोकेमिस्ट के पद से सेवा निवृृत होने के बाद भी जन सेवा को जनार्दन सेवा माने वाले श्री सोैदानसिंह यादव का गुरूवार प्रातः उनके निवास पर ही साईलेंट हार्ट अटेक आ जाने से दुखद निधन हो गया । श्री यादव पूर्णतः स्वस्थ्य होकर प्रतिदिन प्रातः योगाभ्यास के बाद नगर में अपने स्कूटर से जहां से भी उनकी सेवा की खबर मिलती वे पहूंच जाते थे । उन्होने जीवन में कभी भी अर्थोपार्जन को महत्व नही दिया । उनका लक्ष्य ही सेवा के माध्यम से लोगों को राहन पहूंचाना रहा है । 
Jhabua News- नगर के कर्मयोद्धा, जनसेवा महामंत्र के प्रणेता एसएस यादव का निधन        शहर को 40 वर्षो तक सक्रिय स्वास्थ्य सेवा देने वाले जनजन के लाडले एसएस यादव जी (75 वर्षीय) का निधन से नगर के  कई परिवारों पर गहरा आघात पहूंचा है। सायकिल से नियमित घर-घर सुबह- शाम पहुंचकर हर जरूरतमंद की देखभाल करने से आपकी जनसेवा का सफर शुरू हुआ। आजीवन यह सिलसिला चला। बस बदलाव यह आया कि शहर की सीमाएं बढ़ने से सायकिल की जगह स्कूटर घर-घर पहुंचने का माध्यम बन गया। जिला अस्पताल में भी श्री यादव जब तक कार्यरत रहे तो शहर का हर शख्स आपके पास अधिकार पूर्वक जाता था। इतने बड़े अस्पताल में बस यादव साहब को ही सब कुछ माना जाता था और भरोसा भी सबसे ज्यादा उन पर ही किया जाता था। पास में ही सरकारी आवास होने से निजी रिश्ते निभाते हुए आपके घर से ही भोजन-पानी की व्यवस्था कई मरीजो के लिए होती थी। सेवानिवृत्त होने के बाद भी उसी गति से सेवा कार्य चलता रहा।
       श्री सौदानसिंह यादव ने सन्देश भरा जीवन जिया । समय का हमेशा आपको पाबंद देखा गया। कई बार लगता था कि घड़ी का कांटा आपकी अनुसार ही चलता है। स्वास्थ्य सेवाओं को कभी पैसा कमाने का आपने माध्यम नही माना। केवल अपना काम निष्ठा से करने पर ध्यान देते थे। उन्हे कर्मयोग की जीती- जागती पाठशाला माना जाता रहा हैे।जवान लड़के को खोने के बाद भी वे ना टूटे और ना ही अपने कर्म को त्यागा। पोते  व बहु के प्रति अपनी जवाबदारी हिम्मत से निभाई। पत्नी को उस समय खो दिया,जब उन्हें ढलती उम्र में पत्नी की सबसे अधिक आवश्यकता थी। समय ने चाहे जो रंग दिखाए लेकिन आपको कभी टूटते हुए नही देखा। जीवन के प्रति हमेशा उनका रवैया सकारात्मक दिखा। व्यवहार व सादगी के मामले में आपका कोई मुकाबला नही था। आपके कार्यकलापों व निजी जीवन का स्मरण करने पर यह प्रतीत होता है कि शायद भगवान जीवन जीने की कला सीखने के लिए ही श्री यादव जैसे लोगो को धरती पर भेजता है। 
       हंसमुख, मिलनसार एवं कर्तव्य को ही सेवा मानने वाले कर्मयोद्धा एसएस यादव को उनकी निस्वार्थ सेवा के लिये दर्जनों पुरस्कारों से नवाजा गया । रोटरी क्लब, हो या जिला प्रशासन,या धार्मिक संस्थायें हो  हमेशा ही उनके सेवा कार्यो की सदैव प्रसंशा की जाती रही है । समाज सेवा के क्षेत्र में उन्हे कर्मयोद्धा के रूप  में जाना जाता रहेगा । उनके निधन का समाचार मिलते ही पूरा नगर स्तब्ध हो गया। बुधवार रात्री तक उनके द्वारा मरीजों की सेवा की जाती रही और सोने के बाद सुबह उनके घर उनके साथ ही रहने वाले सुरेश सोंलकी जो कक्षा 11 में श्री यादव के सहयोग से ही पढ रहे है तथा उनके साथ ही रह रहे है, के द्वारा प्रातः 5 बजे उन्हे देखा गया तो वे मृत अवस्था में मिले । संभवतया उन्हे साईलेंट हार्ट अटेक आया था । इसकी सूचना इन्दौर में इनके पुत्र संजय यादव को दी गई जो दोपहर 12 बजे के बाद यहां पहूंचे और दोपहर 2 बजे लाॅकडान के चलते चुनिंदा लोगों की उपस्थिति में माधोपुरा स्थित मुक्तिधाम पर उनका दाह संस्कार किया गया । ये अपने पीछे पुत्र संजय एवं उनकी पत्नी, पंतनगर उत्तराखंड में निवास रत पुत्री श्रीमती रजनीसिंह, पोता आर्यन सहित भरा पुरा परिवार छोड गये है ।
 ज्ञातव्य है कि श्री यादव ने मेडीकल कालेज को अपना देह दान करने का संकल्प पत्र भी भरा था तथा पिछले गणतंत्र दिवस पर उनका इस पुनित कार्य के लिये सम्मान भी किया गया था । लाक डान के चलते इन्दौर मेडिकल कालेज एवं डाक्टरो  ने कोरोना वायरस की महामारी के चलते शव लेने से इंकार करने से उनका अन्तिम संस्कार माधोपुरा मुक्तिधाम पर किया गया ।श्री यादव के निधन पर सांसद गुमानसिंह डामोर, जिला भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा, एवं भाजपा नेताओं के अलावा नगर के गणमान्यजनो, समाजसेवी संस्थाओं , धार्मिक संस्थाओं, सर्वसमाज के प्रतिनिधियों द्वारा उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है तथा इसे झाबुआ नगर के लिये शून्य बताया है। विधायक कांतिलाल भूरिया, डा. विक्रांत भूरिया, निर्मल मेहता आदि ने भी उन्हे स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित की है ।  मुक्तिधाम पर उन्हे अश्रुपूरित नेत्रों से झाबुआ नगर ने विदाइ्र दी ।

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