किओस्क संचालको द्वारा उड़ाई जा रही कलेक्टर के आदेश की धज्जिया

जिले की समस्त बैंक शाखाओं को संचालन कार्यालय समय सुबह 9:00 से लेकर शाम 4:00 बजे तक दिनांक 18 मई से लेकर 31 मई तक नियत किया गया है।
झाबुआ। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जनहित को दृष्टिगत रखते हुए जिले की समस्त शाखाओं का संचालन सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक नियत किया गया था। भारत सरकार द्वारा लॉकडाउन अवधि को बढ़ाकर 18 मई से 31 मई तक कर दिया है। जिसको लेकर उक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए जिले की समस्त बैंक शाखाओं को संचालन कार्यालय समय सुबह 9:00 से लेकर शाम 4:00 बजे तक दिनांक 18 मई से लेकर 31 मई तक नियत किया गया है। तथा बैंक धारक हेतु 9:00 बजे से 3:00 बजे तक बैंकिंग लेनदेन का समय रहेगा। 
         समस्त बैंक शाखा बैंकिंग लेनदेन के दौरान खाताधारकों से सोशल डिस्टेंस का पालन करवाते हुए लेन-देन टोकन सिस्टम को करवाएंगे। समस्त बैंक शाखाओं को निर्देशित किया जाता है कि किओस्क संचालन को आवंटित प्रातः 8:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक खाताधारकों को खाते से राशि का भुगतान करवाना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही कियोस्क संचालक की प्रतिदिन की मानिटरिंग करते हुए जिला अग्रणी प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा झाबुआ को दैनिक स्थिति से अवगत कराएंगे। अगर निर्देशों का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता है तो आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत विधिवत कार्रवाई की जाएगी। उक्त आदेश जिला कलेक्टर द्वारा पूर्व में भी कई बार जारी किया गया है।

किओस्क द्वारा कलेक्टर के आदेश की उड़ाई जा रही धज्जिया 
कलेक्टर द्वारा स्पष्ट रूप से आदेश पारित कर सभी किओस्क संचालको को प्रातः 8:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक खाताधारकों को खाते से राशि का भुगतान करने के आदेश दिए बावजूद इसके कुछ किओस्क द्वारा समय पर खोलना तो दूर की बात बल्कि इन्हे पूर्णतः बंद रखे जा रहे है। ऐसा ही एक मामला झाबुआ के एक एसबीआई कीओस्क पर देखने को मिला जहाँ ग्रामीण सुबह 7 बजे से 11 बजे तक इसके खुलने का इंतज़ार में बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए। और खबर लिखे जाने तक 11 बजे तक के समय पर वही कीओस्क के बहार खड़े थे।  हमने जब उक्त ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया की पुरे झाबुआ के किओस्क खुले है और सिर्फ एक ये ही किओस्क बंद है। ग्रामीणों द्वारा उक्त कीओस्क के बारे में यह आरोप भी लगाया गया की ये हमे राजवाड़ा स्थित बड़ी बैंक में भेजते है बैंक से हमे ये कहा जाता है की जहाँ पर खाता खुलवाया है वही पर जाओ। उल्लेखनीय है की उक्त एसबीआई कीओस्क के बारे में पूर्व में भी कई लोगो द्वारा खाता खुलवाने के शुल्क को लेकर आपत्ति दर्ज़ की है, लोगो के अनुसार बैंक द्वारा जो शुल्क निर्धारित किया गया है वो 20 रूपए है जो की इस कीओस्क द्वारा 250 रुपये लिया जा रहा है जो की 10 गुना से भी अधिक है। साथ ही  पूर्व में भी ग्रामीणों द्वारा उक्त कीओस्क खुलने के समय के साथ ही इनकी कार्यप्रणाली को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए है। प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा यह भी बताया गया की उक्त कीओस्क पर प्रतिदिन सेकड़ो ग्रामीण आते है और खुलने के इंतज़ार में घंटो यहाँ बैठने के बाद कभी 12 और कभी 2 बजे तक इंतज़ार करने के बाद पुनः मायूस होकर गांव लोट जाते है।  
         जाहिर सी बात ही की बैंक ने ग्राहक सेवा केंद्र खोले ही इसलिए की है की वहां ग्रामीणों को जिन्हे बैंक में कई कठिनाइयों का सामना करना पढता है कीओस्क पर आसानी से इनका काम हो जायेगा , मगर इस मामले ने तो बैंक की कार्यप्रणाली पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया। साथ ही इस तरह के कीओस्क संचालक कलेक्टर आदेश की भी खुले आम धज्जिया उड़ा रहे है , जो माननीय कलेक्टर महोदय ने बैंक के ग्राहकों के हित में दिए थे। साथ ही एक बात और विचारणीय है की जब  ग्रामीणों का खाता खोलने का समय था तब इन्ही संचालको ने सुबह से लेकर रात तक कीओस्क खोला और जब उन्हें सेवा देने की बारी आयी तो इन्होने कुछ घंटो के लिए भी कीओस्क खोलना मुनासिफ नहीं समझा, आशय सिर्फ एक ही है की खाता खोलने के ये 250 रुपये वसूलते थे जबकि ग्रामीणों को उनके खातों में आये पैसे देने में इन्हे सिवाय सेवा के और कुछ भी  मिलना वाला नहीं था सो इन्होने अपने कीओस्क को पूरी तरह बंद रखा। साथ ही जब हमने उक्त कीओस्क के खुलने के समय को लेकर पड़ताल की तो एक चौकाने वाली बात सामने आयी वो ये की जब से लॉकडाउन लगा है यानि मार्च से अब तक इन तीन महीनो में ये कीओस्क बमुश्किल ७ दिन भी नहीं खुला है जबकि होना ये था की रविवार को छोड़कर प्रतिदिन भले ही 2 घंटे मगर उक्त कीओस्क को खुलना अवश्य था। सोचिये की 40 - 45 डिग्री तापमान में सुबह 8 बजे से कीओस्क के खुलने का इंतज़ार कर रहे उन ग्रामीणों की ऐसी भीषण गर्मी और तपती धुप में भुखे-प्यासे बैठे क्या हालत होती होगी। और ये सब कुछ 1 -2 दिन से नहीं बल्कि पिछले 3 महीनो से चल रहा है। खबर लिखने का एक मात्र मकसद ऐसे सभी कीओस्क संचालको को हिदायत देना ही है की वे इन ग्रामीणों की पीड़ा समझते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर इन्हे इनका हक़ प्रदान कर संकट की इस घडी में इन्हे सहयोग करे, अन्यथा इस तरह की मनमानी के परिणाम आगामी दिनों में ऐसे होंगे जिसकी इन कीओस्क संचालको ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

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