दशहरा पर राष्ट्रीय सेवक संघ का प्रभावी पथ संचलन निकला

कानूजी महाराज ने भी आरएसएस के स्वयंसेवकों को धर्मवीर का संज्ञा देते हुए इसे समाज को जोडने वाला संगठन बताया।

शास्त्र पूजन एवं शस्त्र पूजन का समन्वय है दशहरा पर्व- मुनि जिनेन्द्र विजय जी मसा

झाबुआ।  प्रखर राष्ट्रवाद का सन्देश देते हुए नगर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अनुशासित पथ संचलन ने नगर में भ्रमण करके दशहरा पर्व पर जनजन में राष्ट्रवादी भावना का संचार किया । मंगलवार को दशहरा पर्व पर प्रति वर्षानुसारा इस वर्ष भी स्थानीय उत्कृष्ठ विद्यालय के मेैदान पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सैकडो की संख्या में स्वयं सेवकों ने एकत्रित होकर शस्त्रपूजन एवं पथ संचलन के अभिनव आयोजन में सहभागिता की । उत्कृष्ठ मेैदान पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आशुतोष शर्मा, विभाग कार्यवाह रतलाम के अलावा नगर मे चातुर्मास हेतु बिराजित आचार्य नरेन्द्रसूरिश्वरजी मसा के सुशिष्य जैन मुनि  जिनेन्द्र मुनिजी मसा,  आदिवासी समराज के संत पूज्य कानूराम जी महाराज, एवं संघ के तहसील संघ प्रमुख एवं जिला समरसता के प्रमुख शांतिलाल सूर्यवंशी मंचासीन थे ।
      परम्परानुसार ध्वज वंदना के साथ ही भारत माता, पूरमपूज्य गुरूजी एवं डा. हेडगेवार के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ ही  "संघ की प्रार्थना नमस्त सदा वत्सले मातृ भूमै’’ के साथ  पंचसंचलन  की कडी में बौद्धिक का आयोजन किया गया । इस अवसर पर जैन मुनि पूज्य जिनेन्द्र विजय जी मसा ने अपने बौद्धिक प्रवचन में स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन मां भारती के लिये बडा ही महत्व का दिन है । पूर्व जन्मों के पूण्योदय के कारण ही इस आर्यकुलम में जन्म लेकर गर्व की अनुभूति आरएसएस से जुडे कार्यकर्ता कर रहे । मुनिश्री ने कहा कि नगर में चातुर्मास हेतु विराजित अष्टप्रभावक पूज्य नरेन्द्रसूरिजी मसा के अनुसार भी बर्षो पूर्व मात्र 12 व्यक्तियों ने एक साथ बैठक कर हिन्दु समन्वय के बारे में चर्चा की थी ओर 1200 लोगों के साथ नामपुर में संघ की स्थापना हुई थी वह आज विशाल वट वृक्ष बन चुका है। और देश  के कोने कोने तक संघ के कार्यकर्ता सेवाभावना के साथ अपनी निर्लिप्त सेवायें प्रदान कर रहे है। उन्होंने मैसूर में मनाये जाने दशहरा पर्व की शस्त्रपूजा का जिक्र करते हुए कहा कि आज झाबुआ नगर में में आनंद की अनुभूति  स्वयं सेवको के हर कदम के साथ हो रही है । मुनि श्री ने कहा कि आरएसएस का इतिहास  संघर्ष पूर्ण रहा है । 
    आज हमे हिन्दू होने पर गौरव महससू हो रहा है । उन्होने कहा कि नवरात्री के नौ दिनों में शास्त्र पूजा  एवं दशहरा शस्त्र पूजा का समन्वय सिर्फ हमारे धर्म में ही दिखाई दे रहा है । जैन धर्म में भी आज जैन मुनि नवपद ओलिजी की पूजा कर रहे है, शास्त्रों की पूजा हो रही है और दशहरा पर्व  शस्त्र पूजा  तन,मन, एवं देश की रक्षा की कामना के साथ करते है । आज हम प्रण लेकर जायें कि देश की रक्षा के लिये अपनी भूमिका का निर्वाह करेगें । आज संस्कृति की पूजा का दिवस है। संस्कृति को पाकर हम गौरवान्वित होते हैं भारत माता की आनबान और शान के लिये अपना जीवन तक अर्पित कर देगें । आरएसएस के धर्म प्रचार मंडल द्वारा प्रदत्त प्रेरणा आगे बढती जाये और भारत विश्व में अपना सर्वोच्च स्थान बनाये ऐसी मंगल कामनायें देता हूं ।
     इस अवसर पर  कानूजी महाराज ने भी आरएसएस के स्वयंसेवकों को धर्मवीर का संज्ञा देते हुए इसे समाज को जोडने वाला संगठन बताया। उन्होने धरती पर धर्म पताका फहराने के कार्यो में अग्रणी संस्था बताते हुए इसकी उत्तरोत्तर प्रगति की कामना की। मुख्य अतिथि विभाग कार्यवाह रतलाम आशुतोष शर्मा  ने अपने बौद्धिक में संबोधित करते हुए कहा कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं को मौसम की प्रतिकूलता भी डिगा नही सकती है ।आज शक्ति पूजन का दिवस होकर भारत को आज पूरा विश्व नतमस्तक हो रहा है । उन्होने कहा कि भारत ने विश्व का अष्टांग योग  प्रदान किया है और विश्व में आज सभी देश योग दिवस को मना रहे है ।  श्री शर्मा ने आगे कहा कि शक्तिशाली वही होता है जिसके पास  शक्ति के साथ सुशीलता भी हो। उन्होने रामायण का जिक्र करते हुए कहाकि रावण  बल शाली होने के साथ ही उसमें सुशीलता नही बल्कि छल था। जबकि हनुमानजी भी बलशाली होने के साथ ही उनमें शील भी था जिसमे शील होता है वह पूजनीय बन जाता है ।जिसमें शील नही होता वह डरपोक होता है, सीता हरण के समय रावण झाडियों को छिपता हुआ डरता हुआ इधर उधर डरता हुआ ऐसा  जा रहा था मानो कोइ्र कुत्ता रोटी मुह मे दबा कर भाग  रहा हो । श्री शर्मा ने कहा कि देवताओं ने अपनी समग्र शक्ति देकर मां दुर्गा का निर्माण किया था और नवरात्री के नो दिन शक्ति की आराधना के दिन होते है ।
     भगवान राम भी बनवास के दोरान पहाडो पर जाकर तपस्या कर सकते थे किन्तु उन्होने जन कल्याण एवं समाज को आसुरी ताकतों से मुक्ति दिलानें के लिये वनवास मतें जाकर आसूरी शक्तियों का संहार किया था।उन्हाने कहा कि अंग्रेज भी आसूरी शक्तियों के प्रतिक रहे है । उन्हाने समाज मे फुट डालने का काम किया । ऐसे में डा. हेडगेवार जेसे का्रंतिकारी विचारधार के व्यक्तित्व ने का्रंतिकारी मार्ग एवं गांधीजी के सिद्धांतों से परे हट कर हिन्दु समाज को संगठित करके 1925 में  कुछ लोगों के साथ बेठ का आरएसएस जेसे संगठन की स्थापना की । उनके द्वारा लिया गया संकल्प आज फलिभूत हो रहा है। आज गांव गाव तक संघ की पहूंच हो चुकी है । उन्होने कहा कि जिसके मन में अहंकार आ जाता है वह समाज का भला नही कर सकता हे । संघ के स्वयंसेवक इससे उपर ही रहते थे सेवा ही  उनका लक्ष्य रहता है ।
      उत्कृष्ठ मेदान ने भगवा ध्वज  के साथ सैकडो की संख्या में स्वयंसेवकों का पथ संचलन प्रारंभ हुआ जो बसस्टेंड, थांदला गेट, कमल टाकीज मार्ग, सुभाष मार्ग, दिगम्बर जेैन मंदिर, कालिका माता मंदिर, भोज मार्ग, चारभुजा मंदिर, आजाद चैक, बाबेल चैराहा, जेन मंदिर चोराहा, राधाकृष्ण मार्ग, राजवाडा चैक, लक्ष्मीबाई मार्ग, तेलीवाडा, जगमोहनदास मार्ग, हंसा लाॅज,  सिद्धेश्वर कालोनी, बुनियादी स्कूल मार्ग, विवेकानंद कालोनी, सज्जन रोड होते हुए उत्कृष्ठ स्कूल मैदान पर समापन हुआ ।

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