कब पूरा होगा आदिवासी अंचल धार-झाबुआ के वनवासियों का रेल का सपना

8 फरवरी 2022 : इंदौर-दाहोद रेल परियोजना के 14 साल पूरे
झाबुआ। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ, आलिराजपुर और धार जिले की तस्वीर और तकदीर बदलने मैं आया हूं दो रेल परियोजनाओं को लेकर एक इंदौर व्हाया झाबुआ, दाहोद रेल लाईन और दूसरी छोटा उदयपुर, व्हाया आलिराजपुर, धार रेल लाईन। इन रेल लाईनों के आने से ये आदिवासी अंचल देश के नक्शे पर विकास की नई ईमारत लिखेगें और सन 2011 तक यहां रेल पटरी पर रेल चलती दिखलाई देगी - 
डाॅ.मनमोहनसिंह प्रधानमंत्री, भारत सरकार
 
     उक्त विचार देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री डां.मनमोहनसिंह ने 2008 को मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल झाबुआ में स्थित हरीभाई की बावडी पर इंदौर दाहोद रेल परियोजना और छोटा उदयपुर धार रेल परियोजना के शिलान्यास समारोह में उपस्थित एक लाख लोगों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए थे। इस समारोह मेें तत्कालीन प्रदेश के राज्यपाल डां.बलराम जाखड,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,केंद्रीय रेल राज्य मंत्री नारायण भाई राठवा, रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव,केंद्रीय राज्य मंत्री कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, पृथ्वीराज चौव्हाण और कई सांसद व विधायकगण उपस्थित थे। इंदौर दाहोद रेल लाईन की लंबाई 200.97 कि.मी.लंबी और इसकी लागत 678.56 करोड थी इस परियोजना मेें 5 महत्वपूर्ण, 29 बडे़ पुल,181 छोटे पुल और 20 स्टेशन बनाये जाना प्रस्तावित है।इसी प्रकार से छोटा उदयपुर धार रेल परियोजना की लंबाई 157 किमी., लागत 608.25 करोड रू.,7 सुरंगे, जिनकी लंबाई 9.85 किमी., बडे़ 30 पुल, छोटे 85 पुल व 14 स्टेशन बनाए जाना प्रस्तावित है।
          14 साल में इंदौर दाहोद रेल लाईन हेतु केंद्र सरकार ने बजट में 876 करोड रूपए आवंटीत किये जो कि उदघाटन के समय की लागत 678 करोड से 198 करोड ज्यादा है वहीं वर्तमान में परियोजना की लागत 1600 करोड के लगभग पहूंच गई है। इस 200.97 किमी लंबी परियोजना मेें पिछले 14 सालों में सिर्फ 36 किमी. की लाईन डाली गई जिसमें दाहोद से कतवारा तक 11 किलोमीटर और इंदौर से धार की तरफ 25 किलोमिटर लाईन डाली गई है। झाबुआ में जमीन का अधिग्रहण का कार्य हो चुका है और गुजरात से झाबुआ की तरफ कुछ काम प्रारंभ किया गया था। वहीं पीथमपुर में बनाई जा रही टनल का काम 3 किमी. तक करने के बाद बंद कर दिया गया है। और परियोजना को होल्ड पर डाल दिया गया था। कोरोना काल में काम पूरी तरह से बंद रहा जिसके बाद अब जोकर इस साल केंद्र सरकार ने 2022 के बजट में इंदौर दाहोद रेल लाईन को 265 करोड और छोटा उदयपुर आलिराजपुर रेल लाईन के लिए 100 करोड रूपए की राशी आवंटीत की है। रेल लाओं महासमिति के संयोजक दिलीप सिह वर्मा ने परियोजना के 14 साल बितने के अवसर पर बताया की इतने लंबे अंतराल के बाद भी झाबुआ,धार के वनवासीयों के हाथ कुछ भी नहीं आया है और उनका रेल का सपना आज भी अधुरा है जबकी आलिराजपुर तक छोटा उदयपुर धार रेल परियोजना की रेल लाईन पहूंची है लेकिन उसके आगे अभी काम की गति धीमी है। वही इंदौर दाहोद रेल लाईन का काम तो पूरी तरह से ही बंद पडा है। आपने केंद्र सरकार व रेल्व विभाग से मांग की है कि उक्त दोनों परियोजनाओं का बजट आवंटन के बाद काम जल्दी से जल्दी तीव्र गति से प्रारंभ किया जावे और आदिवासी अंचल के अवरूद्ध हो रहे विकास को गति दिलाने के लिये परियोजना को शीघ्र पूर्ण किया जावें । आपने कहां की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी झाबुआ की एक चुनावी सभा में कहां था कि शीघ्र ही इस परियोजना को प्रारंभ करवायेगें लेकिन उनके कार्यकाल का भी यह दूसरा दौर चल रहा है लेकिन उक्त दोनेां परियोजनाऐं पूरी नही हो सकी है।  
        ज्ञातव्य है कि तत्कालिन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया ने स्व.सांसद दिलीप सिंह भूरिया की मांग पर मेघनगर और कालिदेवी की आमसभाओं में उक्त रेल परियोजना प्रारंभ करने की घोषणा की थी लेकिन आज तक आदिवासी अंचल की यह मांग अधूरी ही रही है। रेल लाओ महासमिति पिछले 25 सालों में इस परियोजना को प्रारंभ कराने की मांग को लेकर सतत आंदोलन चलाती आ रही है और अभी तक अधिकारीयों, सांसदों, विधायकों, रेल मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आदि को 35 हजार से अधिक बार ज्ञापन सौप कर उक्त परियोजना को पूर्ण करने की मांग कर चुकी है। इतने लंबे समय तक दो-दो प्रधानमंत्रीयों के आश्वासन के बाद भी रेल विभाग के कान पर जूं तक नही रेगना यह दर्शाता है कि विभाग और उसके अधिकारी अपनी मर्जी से काम करते है उन पर प्रधानमंत्री तक का कोई असर नहीं होता है। 8 फरवरी 2022 को उक्त परियोजना को लेकर 14 साल पूर्ण होने पर एक बार फिर रेल लाओ महासमिति ने केंद्र सरकार व रेल्वे से मांग की है कि इन परियोजनाओं को बजट आवंटन मिलने के बाद तत्काल प्रारंभ किया जावे अन्यथा एक बार फिर रेल लाओ महासमिति इंदौर से लगाकर दाहोद तक पूर्ण महाबंद करेगी।
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